एम्स के डॉक्टरों द्वारा विदेशों में हुए शोधों के समीक्षात्मक अध्ययन में यह दावा किया गया है कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल से अल्पकालिक तौर पर ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा नहीं है लेकिन 10 साल या उससे अधिक समय तक मोबाइल फोन के इस्तेमाल से ब्रेन ट्यूमर का खतरा 1.33 गुना बढ़ जाता है। ऐसे में यह आने वाले समय में खतरे की घंटी हो सकती है।
वहींं मोबाइल कंपनियों के बजट से हुए शोधों में ब्रेन ट्यूमर का खतरा नहीं होने का दावा किया गया है। जबकि सरकारी बजट से होने वाले शोध के नतीजे अलग कहानी बयान कर रहे हैं।
एम्स का यह समीक्षात्मक अध्ययन अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल (न्यूरोलॉजिकल साइंस) में प्रकाशित हुआ है। डॉक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मोबाइल के इस्तेमाल से ब्रेन ट्यूमर होने के खतरे का पता लगाने के लिए अब तक जो भी शोध हुए हैं उसकी गुणवत्ता व नतीजे शोध का खर्च वहन करने वाले स्रोत से प्रभावित रहे हैं।