उसने अमरत्व को प्राप्त किया था। रावण ने अपनी नाभि में अमृत कुंड बनाया, जहां उसने अमृत को रखा। यह एक रहस्य था। जो रावण के अनुज विभीषण को पता था। विभीषण ने ही इस रहस्य के बारे में श्रीराम को बताया था।
यानि रावण का अंत करना राम के लिए एक चुनौती की तरह था। लेकिन बुराई पर अच्छाई की जीत हमेशा से होती है। और आखिर में रावण को भी मृत्यु शय्या पर अंतिम सांस लेनी ही पड़ी।
इसके पहले रावण को मारना भी आसान नहीं था। लंका नरेश रावण को तमाम सिद्धियां प्राप्त थीं। इसी के तहत अगर उनके सारे शीश काट दिए जाते फिर भी उनका प्राणांत मुश्किल था। तब विभीषण ने ही राम को वह मंत्र बताया था कि प्रभु रावण की नाभि पर वार करें क्योंकि उसे अमरत्व की विद्या आती है।
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