इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। दशहरा का पर्व समस्त पापों काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, अहंकार, हिंसा आदि के त्याग की प्रेरणा प्रदान करता है दशहरे के दिन सुबह दैनिक कर्म से निवृत होने के पश्चात स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं।
घर के छोटे-बडे़ सभी सदस्य सुबह नहा-धोकर पूजा करने के लिए तैयार हो जाते हैं। उसके बाद गाय के गोबर से दस गोले अर्थात कण्डे बनाए जाते हैं। इन कण्डो पर दही लगाई जाती है। दशहरे के पहले दिन जौ उगाए जाते हैं।
वह जौ दसवें दिन यानी दशहरे के दिन इन कण्डों के ऊपर रखे जाते हैं। उसके बाद धूप-दीप जलाकर, अक्षत से रावण की पूजा की जाती है। विजय दशमी या दशहरे के त्योहार पर अनेक संस्कारों, अनेक संस्करणों को पूर्ण किया जाता है इस त्यौहार के अंतर्गत अनेक प्रकार के रीति-रिवाज़ों का प्रचलन है।
जैसे कृषि -महोत्सव या क्षात्र-महोत्सव, सीमोल्लंघन का परिणाम दिग्विजय तक पहुंचा, शमीपूजन, अपराजितापूजन एवं शस्त्रपूजन जैसी कुछ महत्वपूर्ण धार्मिक कृतियां की जाती हैं। दशहरे का एक सांस्कृतिक महत्व भी रहा है।