ब्रह्मकपाल में पिंडदान करने से पितरों को मिलती है नरकलोक से मुक्ति। अक्सर भारतीय पिंडदान के लिए के लिए गया जाते है, लेकिन एक स्थान ऐसा भी है जिसे गया से भी बढ़कर माना गया है। उत्तराखंड के बदरीनाथ के पास स्थित ब्रह्माकपाल के बारे में मान्यता है कि यहां पर पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को नरकलोक से मुक्ति मिल जाती है। पुराणों में बताया गया है कि उत्तराखंड की धरती पर भगवान बद्रीनाथ के चरणों में बसा है ब्रह्म कपाल।
अलकनंदा नदी ब्रह्मकपाल को पवित्र करती हुई यहां से प्रवाहित होती है। इस स्थान के विषय में मान्यता है कि इस स्थान पर जिस व्यक्ति का श्राद्ध कर्म होता है उसे प्रेत योनी से तत्काल मुक्ति मिल जाती है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति के समय जब ब्रह्मा, मां सरस्वती के प्रति मोहित हो गए तो भोलेनाथ ने गुस्से में आकर ब्रह्मा के तीन सिरों में से एक को त्रिशूल के काट दिया। लेकिन ब्रह्या का सिर त्रिशूल पर ही चिपका रह गया।
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