कहते हैं उड़ान भरने के लिए पंखों की की नहीं बुलंद हौसलों की ज़रूरत होती है। और इस बात को सोलह आने सच होते हुए हमने देखा है। हाथ खोने के बावजूद भी अभिषेक इतनी कमाल की तीरंदाज़ी करते हैं कि देखने वालों के होश उड़ जाते हैं। ज़िंदगी ने जो नाइंसाफी अभिषेक के साथ की उसे उन्होने कभी भी अपने हुनर के आढ़े नहीं दिया। शायद इसे ही कहते हैं ज़िंदादिली।
दरअसल बचपन में ही अभिषेक को डॉक्टर की ग़लती का खामियाजा भुगतना पड़ा। ग़लत इंजेक्शन की वजह से इनका एक हाथ खराब हो गया। तब से ही जीवन उनके लिए एक संघर्ष बन गया था। अपने एक हाथ के ना होने के बावजूद भी अभिषेक ने स्पोर्ट्स को अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा बनाया। उन्होंने दौड़ में कई मेडल्स जीते, इसके अलावा उन्होंने लॉन्ग जम्प में भी खूब सराहना प्राप्त की। इस तरह वो एक राष्ट्रिय स्तर के एथलीट बन गए।
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