एक मान्यता के अनुसार, 1847 में एरजूली डेंटर नामक वूडू देवी एक पेड़ पर अवतरित हुई थी। इसे सुंदरता और प्यार की देवी माना जाता था। यहां उसने कई लोगों की बीमारियां ठीक की और कईयों के कष्ट अपने जादू से दूर किए।

वहीं, सैकड़ों महिलाएं सिर्फ बच्चा पाने की ख्वाहिश लिए झरने में नहाने आती हैं। वहीं एक कैथोलिक पादरी को यह सब पंसद नहीं आया तो, उसने इसे ईशनिंदा करार देकर उसके पेड़ के तने से काट डालने का आदेश दिया। लेकिन बाद में स्थानीय लोगों ने यहां देवी की मूर्ति बनाई। वूडू समारोह के दिन यहां लोग मूर्ति के सामने शराब जैसी ड्रिंक ‘क्लेरेक और खाना चढ़ाते हैं।

यहां आने वाले कुछ गरीब परिवारों ने का कहना है कि वह यहां घंटों रुककर और अपने कपड़े उतारकर आसमान में फेंकते हैं। इसे बीते हुए कल के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

1 2
No more articles