जो बढ़कर 8.91 हो गई। सन् 1923 के आते-आते हालात और बुरे हो गए और मुद्रा विनिमय की दर एक डॉलर के मुकाबले 42 हजार करोड़ जर्मन मार्क हो गई।महंगाई दर 32 लाख 50 हजार फीसदी बढ़ गई। राशन के दाम हर दो दिन में दोगुना तक बढ़ने लगे। देश की करेंसी की कीमत इतनी कम हो गई कि लोग बच्चों को नोटों की गडि्डयां सौंप देते और बच्चे गडि्डयों के ऊंचे-ऊंचे महल बनाकर खेलते। आग जलाने के लिए लकड़ी की जगह नोट का उपयोग होने लगा था।

मजदूरों को दिन में तीन बार मजदूरी देना पड़ती। रोज का राशन लाने वाले मजदूरों की पत्नियां थैला भरकर दुकानों पर जातीं और मामूली सामान लेकर लौटतीं।

 

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