नुआकशोत के सामाजिक कल्याण मंत्रालय में सलाहकार और शोधकर्ता सिदी बोयदा ने बताया कि पत्नियों की पिटाई यहां के सभी जातीय समूह में इस कदर स्वीकार की जा चुकी है कि इसे दूर करना बेहद मुश्किल है। फुलानी जनजाति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, इस समाज में जो पति जितनी बेरहमी से पिटाई करता है उसकी पत्नी समझती है कि वो उससे उतना ही ज्यादा प्यार करता है। महिलाएं यहां आपसी बातचीत में गर्व से एक दूसरे को बताती हैं कि उसके पति ने किस बुरी तरीके से पिटा है।
‘द स्टार’ के मुताबिक यहां की 60 वर्षीय महिला एच्युटु सांबा ने बताया कि उनके देश में पत्नी की पिटाई की परंपरा है। वो कहती हैं कि हमें मारपीट की आदत हो गई है, हम इसपर कभी सोचते भी नहीं हैं। उन्होंने बताया कि हम अपने बच्चों को कहानियों में बताते हैं कि उसकी मां, दादी, बुआ, मौसी आदि रिश्तेदारों को उनके पति कैसे पिटते थे।