इस दौरान जहां जहां सती का जो अंग गिरा वह स्थान उसी नाम से जाना जाने लगा। सुरकंडा में माता सती का सिर गिरा था जिस कारण इसका नाम सुरकंडा पड़ा। लेकिन यहां नवरात्र और गंगा दशहरा में दर्शन करना विशेष माना गया है। यह एक मात्र शक्तिपीठ है जहां गंगा दशहरा पर मेला लगता है।
आपको बता दें कि इस मंदिर में दिए गए पत्तें यहां मौजूद स्थानीय पेड़ के ही होते हैं। यह पेड़ रौंसली के नाम से जाना जाता है जिसके पत्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। रौंसली के पत्तों को भक्तजन अपने घरों में रखते हैं।
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