हेयर एक्सपर्ट्स का कहना है कि आज कल अच्छी क्वालिटी के बालों का मिलना मुश्किल हो गया है। बड़े शहरों में लोग अपना लुक बदलने के चक्कर में बालों के साथ छेड़छाड़ करते हैं। इसलिए निर्याताओं को मंदिरों की शरण में जाना पड़ता है।

मंदिरों में बालों की नीलामी भी की जा रही है। तिरूमाला, तिरूपति देवास्थान ने श्रद्धालुओं के बालों का ई-आक्शन कर 74 करोड़ रुपए जुटाए थे। पिछले कुछ सालों से बालों का बाजार अब धीरे-धीरे बदल रहा है। दक्षिण भारत की महिलाएं अपने बालों के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करतीं।

पिछले साल हमने 20 हजार पाउंड के बाल खरीदे थे और इस साल हमें इसके दोगुना होने की उम्मीद है। रंगे बालों की मांग कम है, इसलिए यह मांग पूरी करता है मंदिर और ग्रामीण भारत।

मंदिरों के बाद ग्रामीण भारत में महिलाओं के बालों का नंबर आता है क्योंकि वह न तो रंग लगाती हैं और न ही ब्लीच करती हैं। तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के मंदिरों से बालों का निर्यात सबसे ज्यादा होता है। बालों की लंबाई के आधार पर 200 से 1,000 डालर प्रति किलो बाल बिकते हैं।

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