शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में ये लोग मुस्लिम बस्तियों से दूर झोपडि़यों में रहते हैं और इन्हें अनुसूचित जाति की तरह समझा जाता है। सिंध राज्य में हिंदू महिलाएँ जमींदारी समाज का शिकार हैं। ये महिलाएँ और इनके पुरुष भी हमेशा ही कर्ज में डूबे रहते हैं जोकि भूमि मालिकों द्वारा दिए गए कर्जों के तले दबे रहते हैं।
सिंध प्रांत में हिंदू समुदाय विभिन्न अनुसूचित जातियों-भील, कोहली और अन्य- का संगम है जोकि भारतीय सीमा से लगे इलाकों में रहता है। बादिन, मीरपुरखास, संघर, उमरकोट और थारपारकर जिलों में हिंदू महिलाओं का अपहरण, बलात्कार, मनमानी गिरफ्तारी, यातनाएँ और विस्थापन तथा हत्याएँ तक आम हैं। इन जिलों में धार्मिक घृणा के चलते और कर्ज में होने के कारण महिलाएँ सेक्स स्लेव्स का जीवन बिताती हैं।
जब यह सब नगरीय जीवन का आईना है तो सैनिक प्रशासन तो कुछ भी कर सकता है उसके लिए धार्मिक अल्पसंख्यक क्या, मुस्लिम समुदाय की महिलाएँ क्या, किसी भी समुदाय की महिलाओं को सेक्स स्लेव्स बनाना विशेषाधिकार का हिस्सा है। जो कुछ सेना करती है, उससे जो कुछ छूट जाता है, उस अत्याचार, उत्पीड़न की खुराक आम जनता को कट्टरपंथी गुट पिलाते रहते हैं।