एशियन ह्यूमन राइट्स कमीशन (एएचआरसी) पहले ही जानकारी दे चुका है कि पाकिस्तानी सेना द्वारा 52 यातना सेल्स चलाए जाते हैं। कराची में ही सेना के तीन यातना प्रकोष्ठ हैं। मेंगल ने कहा कि राजनीतिक विरोधियों से सरकार के खिलाफ कामों में लिप्त होने संबंधी स्वीकारोक्तियाँ पाने के लिए सेना द्वारा सेक्स स्लेव्स का इस्तेमाल किया जाता है।
पाकिस्तान अपने को इस्लामी लोकतांत्रिक गणराज्य कहता है लेकिन इसके शासकों में इतना भी साहस नहीं है कि वे अपनी सेना पर ही नियंत्रण रख सकें। इसकी सेना यातना ही नहीं और भी बहुत घृणित कार्यों में लगी रहती है। यह सभ्य समाज के उन सभी नियमों को ताक पर रखती है और पाकिस्तान को बर्बर, आदिमयुगीन राज्य बनाने पर तुली हुई है।
उल्लेखनीय है कि यह पहला मौका नहीं है जबकि पाकिस्तानी सेना पर ऐसे आरोप लगाए गए हैं और ऐसे बहुत से मामले सच भी साबित हुए हैं। धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ बुरा व्यवहार और उनके अधिकारों का हनन एक राज्य प्रायोजित कार्यक्रम बन गया है। बांग्लादेश युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश में जो कुछ किया है उससे यह बात साफ हो जाती है कि पाक सैनिक अपने ही देशवासियों के साथ दुर्व्यवहार करने के मामले में किसी भी हद तक नीचे गिर सकते हैं।