आज से लगभग 32 साल पहले देश में आई उस काली रात को कोई नहीं भूल सकता जिसने लाखों जिंदगियों को लील लिया था। हम बात कर रहे हैं 2 दिसंबर 1984 में भोपाल में हुए गैस त्रासदी की। आज भी उस हादसे के दिये जख्म लोगों के दिलों में ज़िंदा हैं। कई लोगों ने इस दिन अपनों को खोया, हर कोई अपनी और अपने परिवार की जान बचाने के लिए प्रयास कर रहा था। लेकिन उस त्राहि के माहौल में एक व्यक्ति फरिश्ता बनकर सामने आया था। जिसने खुद की जान की परवाह किए बिना लाखों ज़िंदगियाँ बचाई थी। इतना ही नहीं दूसरों को बचाते बचाते इस शख्स ने खुद के ही बेटे और पत्नी को खो दिया था।
हम बात कर रहे हैं भोपाल गैस त्रासदी के हीरो ग़ुलाम दस्तगीर। उस वक़्त वो भोपाल स्टेशन में काम करते थे। रात की ड्यूटी पर जब वो स्टेशन पर टहलने निकले, तो उन्हें आंखों में जलन और अपने गले में खुजली-सी महसूस हुई। उस वक़्त उनके सामने गोरखपुर-कानपुर एक्सप्रेस खड़ी थी। उस ट्रेन को चलने में करीब 20 मिनट का वक़्त बाकी था।