इतना ही नहीं, स्टेशन पर खड़े कई लोगों को उन्होंने बचाने का प्रयास किया। हालात अब काफी बिगड़ चुके थे। मदद के लिए जब वो अपने सीनीयर्स के पास पहुंचे तब तक, उनके साथ के 23 लोगों की जान जा चुकी थी। ग़ुलाम जी जब तक अपने परिवार के पास पहुंचते, उनके 4 बेटों में से तीन की मौत हो चुकी थी। उनकी पत्नी भी मारी गई थीं। एक बेटा त्वचा की बीमारी से ग्रसित था और वो खुद भी त्वचा की बीमारी की चपेट में आ चुके थे। इतना ही नहीं, उनका गला भी ख़राब हो चुका था। साल 2003 में उनकी मौत हो गई।

 

 

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