गरीब परिवार से होने के कारण ऊषा के लिए बार-बार दिल्ली से आना संभव नहीं था। इसलिए पति-पत्नी अब ग्वालियर थाटीपुर में ही किराए का मकान लेकर रह रहे हैं। पति फिलहाल कोई काम नहीं करता है, जिससे तीसरी संतान को लेकर ऊषा परेशान रहती है। अब तक उसे सहायता के रूप में 30 हजार रुपए मिलने की उम्मीद दिख रही थी, लेकिन अब यह उम्मीद भी खत्म होने लगी है।

ऊषा के मुताबिक पहले तो उसे बैठक नहीं होने का बहाना बनाकर टालते रहे। जब कलेक्ट्रेट में आवेदन दिया तो अब 13 सप्ताह का गर्भ होना बताकर नियमों से बाहर होने की बात कही जा रही है। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है। मुझे किस जुर्म की सजा दी जा रही है। सीएमएचओ डॉ. एसएस जादौन से नाराजगी जताते हुए ऊषा की आंखें छलछला उठीं। हालांकि सीएमएचओ ने कर्मचारियों को तत्काल प्रसूता की फाइल भोपाल भेजने के निर्देश दे दिए हैं।

 

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