बार-बार तनाव की स्थिति को देखते हुए उन्हें 1979 में पाकिस्तान छोड़ना पड़ा और वे भारत में जालोर जिले के थलवाड़ा क्षेत्र में अपने रिश्तेदारों के पास आ गए। वर्ष 2005 में काफी संघर्ष के बाद उन्हें भारतीय नागरिकता मिल चुकी है और वे अब भारतीय हैं।
राजूसिंह बताते हैं कि 1971 के युद्ध के बाद से ही उन्होंने परिवार सहित भारत आने का मानस बना लिया था। तनाव के बीच 1971 में पाकिस्तान छोड़ दिया।