जिसके बाद घूमते-घूमते सन 1979 में वे भारत के विभिन्न हिस्सों से होते हुए थलवाड़ पहुुंचे। राजूसिंह का कहना है कि जब पाकिस्तान छोड़ा तो वहां माहौल बहुत ज्यादा खराब था, लेकिन जब भारत पहुंचे तो यहां बहुत अपनापन मिला और आज वे भारत के नागरिक हैं।
80 के पड़ाव पर खड़े राजूसिंह सोढ़ा का कहना है कि उनका बचपन और जवानी पाकिस्तान में बीती, लेकिन वहां हर पल दहशत और चिंता सताती रहती थी कि कब युद्ध हो जाए। वहां के स्थानीय लोगों से भी खतरा सताता रहता था। इस बीच वे अपने परिवार के साथ भारत आ गए और यहीं बस गए।