मुथू का जन्म तमिलनाडु के छोटे से गांव में हुआ था। शुरुआती दिनों में आर्थिक तंगी की वजह से मुथू अपने पिता के साथ बंदरगाह में कुली के रूप काम करते थे। उनके पिता बड़े जमींदारों के घर मजदूरी किया करते थे, लेकिन उनका ख़ुद का एक करोबार शुरू करने का सपना था। आर्थिक हालात इतनी दयनीय थी कि किसी तरह एक वक़्त भी सूखी रोटी नसीब हो पाती थी। दूसरे बच्चों को स्कूल जाते देख मुथू ने भी गांव के सरकारी स्कूल जाने शुरू कर दिए, लेकिन भूखे पेट पढाई कर पाना सच में बेहद मुश्किल भरा था।
अंत में इन्होंने पढ़ाई छोड़ पिता के साथ ही काम करने शुरू कर दिए। उस दौर में बड़े-बड़े जमींदारों के फर्म हाउस में ये लोग सामानों की आवाजाही किया करते थे। मुथू ने भी काम करना शुरू कर दिया, दिन भर काम करते और वही जो बची-खुची चीज़ खाने को मिलती उससे भूख मिट जाती। कुछ सालों तक ये सिलसिला यूँ ही चलता रहा।