समावेशी विकास में जीडीपी में वृद्धि के साथ ही जनसंख्या के सभी वर्गो के लिए बुनियादी सुविधाओं यानी आवास, भोजन, पेयजल, शिक्षा, कौशल, विकास, स्वास्थ्य के साथ-साथ एक गरिमामय जीवन जीने के लिए आजीविका के साधनों की सुपुर्दगी भी करना शामिल है। परन्तु ऐसा करते समय पर्यावरण संरक्षण पर भी ध्यान देने की आवश्यकता होती है , क्योंकि पर्यावरण की कीमत पर किया गया विकास न तो टिकाऊ होता है और न ही समावेशी। यानी ऐसा विकास यहां सकल घरेलू उत्पाद की उच्च वृद्धि दर प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद की उच्च वृद्धि दर में परिलक्षित हो तथा आय एवं धन के वितरण की असमानताओं में भी कमी आए।