आईएमए ने कहा है कि जिन लोगों को स्लीप एप्निया है या होने का शक है। उन्हें तुरंत अपने डॉक्टर से जांच और इलाज के लिए संपर्क करना चाहिए। विस्किॉन्सिन यूनिवर्सिटी की एक अन्य शोध में यह बात सामने आई है कि गंभीर स्लीप एप्निया से मौत का खतरा तीन गुना ज्यादा होता है। इसके साथ ही मध्यम से हल्का स्लीप एप्निया के मामले में मौत का खतरा 50% तक ज्यादा होता है।
सिडनी के वूलकॉक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च के अध्ययनकर्ता नथनायल मार्शल का कहना है कि मौत का खतरा खर्राटों के कारण आश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाता है। इस रिसर्च में छह गुना ज्यादा खतरा होने की बात सामने आई है। यानि 40 साल की उम्र में स्लीप एप्निया से मौत का खतरा उतना ही होता है। जितना 57 साल की उम्र के व्यक्ति को बिना इस रोग के होता है।
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