यह मंत्र है – ॐ भूर्भुवः स्वः क्लीं क्लीं क्लीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। क्लीं क्लीं क्लीं ऊं। स्वाहा।

हरिद्वार के गायत्री परिवार से जुड़े वीरेश्वर उपाध्याय के अनुसार, इस मंत्र के माध्यम से दी गईं आहुतियां दैवीय शक्तियों को पुष्ट करती हैं और आसुरी शक्तियों का शमन करती हैं। इसलिए सूक्ष्म जगत को प्रभावित करने और आतंकवाद को समाप्त करने के लिए यह एक अनूठा प्रयोग है। उपाध्याय ने आगे बताया, देशभर के गायत्री मंदिरों में यह प्रयोग हो रहा है। यही नहीं, गायत्री परिवार के साधक भी अपने स्तर पर राष्ट्रहित में इस मंत्र का जाप नियमित कर रहे हैं।

‘ह्रीं श्रीं क्लीं’ सरस्वती, लक्ष्मी और काली के बीज मंत्र हैं। ह्रीं यानी सात्विकता से समस्या का समाधान, वहीं श्रीं यानी राजसी। इसी तरह क्लीं तामसिक तत्व है। उक्त मंत्र में क्लीं शब्द का उपयोग करने का तात्पर्य है दुर्जन को उसी की भाषा में जवाब देना। यह कालिका शक्ति के द्वारा आतंकवाद का सर्वनाश है।

 

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