दुनिया के हर माता-पिता हमेशा अपने छोटे बच्चों को एक ऐसा आहार खिलाना चाहते हैं जिसमें विटामिन और मिनरल्स अच्छी मात्रा में भरे हों। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चे के पैदा होने के एक साल तक उन्हें शक्कर और नमक नहीं खिलाने चाहिए, हांलाकि, ऐसे फल जिन्में प्राकृतिक रूप से मिठास होती है, उन्हें खिलाने में कोई गुरेज़ नहीं है।
दरअसल बच्चों को अगर बचपन से ही शक्कर वाली चीजें खिलाना शुरु कर दिया जाता है तो, उन्हें साग-सब्जियां, फल या खाली दूध कभी पसंद नहीं आएगा। चिंता की बात यह है कि बाज़ार में मिलने वाले बच्चों के दूध में भी बहुत अधिक मात्रा में शक्कर होती है। यदि बच्चे को बचपन से ही भारी मात्रा में शक्कर खिलाई गई तो, उसे बचपन का मोटापा और भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी अन्य ची़जों का सामना करना पड़ सकता है।
बल्कि रिफाइंड शुगर में घातक कैमिकल मिले होते हैं, जो बच्चों के लिये काफी हद तक नुकसानदायक होते हैं। सफ़ेद शक्कर को ज़्यादा खाने से आपके बच्चे की रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर पड़ने लगती है, जिससे बच्चों को संक्रमण और अन्य बीमारियां घेरने लगती हैं। स्टडी में साफ बताया गया है कि जो माता-पिता बच्चों को मीठा खिलाने की आदत डालते हैं, उन बच्चों को आगे चल कर हार्ट की बीमारी का रिस्क रहता है। छोटी उम्र में दांतों की सड़न होना भी शक्कर खाने का ही नतीजा होता है।
बल्कि रिफाइंड शुगर में घातक कैमिकल मिले होते हैं, जो बच्चों के लिये काफी हद तक नुकसानदायक होते हैं। सफ़ेद शक्कर को ज़्यादा खाने से आपके बच्चे की रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर पड़ने लगती है, जिससे बच्चों को संक्रमण और अन्य बीमारियां घेरने लगती हैं। स्टडी में साफ बताया गया है कि जो माता-पिता बच्चों को मीठा खिलाने की आदत डालते हैं, उन बच्चों को आगे चल कर हार्ट की बीमारी का रिस्क रहता है। छोटी उम्र में दांतों की सड़न होना भी शक्कर खाने का ही नतीजा होता है।