लोगों का तर्क था कि ये टैक्स कुछ ऐसा है कि हमें घर में धूप आने के बदले टैक्स देना है। घर में हवा आने के बदले टैक्स। और इसका खूब विरोध हुआ। जिसके बाद 1851 में इस एक्ट को खत्म किया गया। और इसके बदले एक हाउस टैक्स लाया गया। इसीलिए कहता हूं, जरूरी नहीं सरकार ने जो फैसला ले लिया हो, उसको ऐसे ही आंख मूंद के मान लें। उसके बारे में पढ़ें, सोचें, विचारें। और जरूरत पड़े तो सवाल भी उठाएं।

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