दूध को ना करें नज़रअंदाज़, इससे हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर , हमें यही बोलकर बड़ा किया गया है कि दूध पीना सेहत के लिए अच्छा होता है। लेकिन दूध से जुडे ये तथ्य आपको हैरान कर सकते हैं। दूध में पाए जाने वाले गुणों और हारमोन से न केवल ब्रेस्ट कैंसर बल्कि हारमोन संबंधित दूसरे कैंसर होने का भी खतरा होता है।
12 सालों तक करीब 1,900 महिलाओं पर सर्वे किया गया, जिनमें ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण पाए गए थे। शोध में पाया गया कि 349 महिलाओं में कैंसर वापस आया जबकि 372 महिलाओं की किन्हीं और वजहों से मौत हो गई और 189 महिलाओं की मौत ब्रेस्टव कैंसर की बजह से हो गई। इन वसायुक्त उत्पादों को एक या एक से अधिक बार खाने वाली महिलाओं को किसी भी और बीमारी से मौत की 64% संभावना और ब्रेस्ट कैंसर से मौत की 49% संभावना होती है।
एस्ट्रोजन हार्मोन, ब्रेस्ट सैल्स या कोशिकाओं का विकास करता है साथ ही हार्मोन रिसेप्टर पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर कोशिकाओं का विकास भी बढ़ा देता है। ये एस्ट्रोजेन हार्मोन वसा कोशिकाओं में बनता और संग्रहित रहता है। दूध से बने उत्पादों में एसेट्रोजन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। इसलिए महिलाएं जिन्हें ब्रेस्ट कैंसर(खासकर हार्मोन रिसेप्टर पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर) होने का पता चला है उन्हें कम वसा युक्त डेयरी उत्पाद खाने की सलाह दी जाती है।
कैंसर परमानेंट रिसर्च द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार वो महिलाएं जिनमें ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण पाए जाते हैं या वो कैंसर की प्रारंभिक अवस्था में होती हैं और उस समय पूर्ण वसायुक्त डेयरी उत्पादों का सेवन करती हैं, उनमें कम वसायुक्त डेयरी उत्पादों का सेवन करने वाली महिलाओं की अपेक्षा ब्रेस्ट कैंसर से मौत की संभावनाएं ज्यादा होती है। इन डेयरी उत्पादों में दूध, कंडेंस्ड मिल्क, मावा, पुडिंग, आइसक्रीम, कस्टर्ड, पनीर, दही, मक्खन आदि शामिल हैं।
इस शोध में शोधकर्ता ये जानना चाहते थे कि क्या पूर्ण वसा युक्त डेयरी उत्पादों का सेवन करने से कैंसर दोबारा हो सकता है या फिर क्या कैंसर से मौत भी हो सकती है। हालांकि इस बात पर अब भी बहस की स्थिति बनी हुई है कि दूध से बने उत्पाद कैंसर के लिए अच्छे नहीं होते। लेकिन जब शोध के नतीजे ऐसे हों तो दूध या दूध से बने उत्पाद न खाने में ही भलाई है।