दुनिया में एक ऐसा सिक्रेट ग्रुप है जो सात अरब से अधिक लोगों के भाग्य का निर्धारण करता है। कहते हैं दुनिया को वही कंट्रोल करते हैं। पर सदियों से इस ग्रुप के बारे में केवल तरह-तरह की कहानियां गढ़ी जाती रही हैं तो कुछ अफवाहें भी पेश की जाती रही हैं। इनमें से कुछ चीजें आंशिक रूप से सही हो सकती हैं लेकिन आज तक किसी ने भी इनके बारे में कोई पुख्ता रिकॉर्ड नहीं पेश कर सका है।
यह कोई आम लोग नहीं बल्कि दुनिया की महान हस्तियां हैं। जो असल में सेंट्रल बैंकर हैं जो आर्थिक सलाहकार समिति के सदस्य भी हैं। इस वक्त यह लोग अंतर्राष्ट्रीय बैंको के निपटारों (बीआईएस) के लिए आर्थिक सलाहकार समिति (ईसीसी) में भाग लेने के लिए बेसल आए हुए हैं। बताया जाता है कि दुनिया के इस सबसे विशिष्ट ग्रुप में कुल इक्कीस सदस्य हैं। इसके निदेशक मंडल में कुल 21 सदस्य जिनमें रूस, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के केंद्रीय बैंक के गवर्नरों समेत छह पदेन सदस्य भी शामिल हो सकते हैं। प्रत्येक पदेन सदस्य अपनी राष्ट्रीयता के एक अन्य सदस्य की नियुक्त भी कर सकता है। इनमें अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक के अध्यक्ष, बेन बर्नानके, बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर, मर्विन किंग, यूरोपीय सेंट्रल बैंक के मारियो ड्रॉघी, चाइना बैंक के झोउ झिआउचुन और साथ में जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्वीडन, कनाडा, भारत और ब्राजील के केंद्रीय बैंकों के गवर्नर शामिल हैं।
बीआईएस इंटरनेशनल बैंक्स सेटलमेंट्स का ढांचा तैयार करता है जो दुनिया के आर्थिक जरूरतों को पूरी करता है। दुनिया के ऐसे देश जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं उनको इसका सीधा सहयोग मिलता है। खास कर संयुक्त राष्ट्र या अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को संतुलित रखने में बीआईएस का पूरा हाथ है। बीआईएस स्विस करों से मुक्त है। अपने कर्मचारियों और उनके वेतन को लेकर आम तौर पर उदार हैं। इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के निजी क्षेत्र के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
आम तौर पर वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय संकट के लिए बीआईएस सबसे अग्रणी रहा है। यह आईएमएफ और विश्व बैंक से पहले से इन सबके लिए सबसे आगे खड़ा रहा है।