तुर्की में हुई तख्तापलट की कोशिश के पीछे मुस्लिम धर्मगुरू फेतुल्लाह गुलेन का नाम लिया जा रहा है। दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार, तुर्की सरकार के लॉयर रॉबर्ट एम्सटर्डम ने इस घटना से गुलेन का सीधा कनेक्शन बताया है। उस पर सेना के अफसरों को भड़काने का आरोप है। न्यूयॉर्क बेस्ड ‘अलाएंस शेयर वैल्यूज’ नाम का ग्रुप गुलेन के आइडियाज को प्रमोट करता है। हालांकि, न्यूयॉर्क बेस्ड इस ग्रुप के प्रेसिडेंट वाई एल्प एस्लानदोगन ने इन आरोपों को गैरजिम्मेदाराना बताते हुए खारिज कर दिया है। एल्प एस्लानदोगन के मुताबिक, ‘हम तुर्की की घरेलू राजनीति में किसी भी तरह के मिलिट्री के दखल की निंदा करते हैं।’ कभी तुर्की प्रेसिडेंट का करीबी रहा गुलेन इस वक्त अमेरिका में रह रहा है। तुर्की के खिलाफ गुलेन सरकार के खिलाफ मिलिट्री के कई आला अफसरों के साथ लगातर संपर्क में था। गुलेन पहले तुर्की प्रेसिडेंट रैचेप तैयाप एर्दोआन के करीबी हुआ करते थे, जो अब अपोजिट हो चुके हैं और- एर्दोआन लंबे समय से गुलेन पर सेक्युलर गर्वंमेंट को उखाड़ फेंकने के लिए प्लॉटिंग करने का आरोप लगाते रहे हैं। तुर्की में पुलिस, ज्यूडिशरी और इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी के भी कई अफसर गुलेन के प्रभाव वाले लोग हैं।
कौन है फेतुल्लाह गुलेन?
फेतुल्लाह गुलेन मुस्लिम धर्मगुरु है, जिसे 50 साल पहले इस्लाम को गलत तौर पर प्रचारित करने को लेकर नोटिस दिया गया था।
गुलेन पर लगातार तुर्की की सरकार के खिलाफ काम करने के आरोप लगते रहे।
गुलेन और उसके सपोर्टर्स ने मिलकर हिजमेत नाम का एक मूवमेंट शुरू किया। उनका 100 से ज्यादा देशों में करीब 1000 स्कूलों का नेटवर्क है।
इनके हॉस्पिटल, चैरिटी, बैंक और मीडिया का एक बड़ा एम्पायर है, जिसका अपना न्यूजपेपर, रेडियो और टीवी स्टेशन है।
गुलेन को पब्लिक के बीच में कम ही देखा जाता है और गैरमौजूदगी में उस पर तीन बार ट्रायल चल चुके हैं।