एक गांव ऐसा है जहां शराब पीना तो दूर इसका नाम लेना भी पाप है। जी हां, प्रतापगढ़ शहर से छोटीसादड़ी के रास्ते करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव है टांडा। इस गांव की आबादी 2000 के आस पास है। यूं तो यह गांव सामान्य गांव जैसा ही है। लेकिन इस गांव ने जिले ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में अलग पहचान बना ली है।
इस गांव में वर्षों से शराब का नाम नहीं लिया जाता। यहां लबाना समाज के लोग रहते हैं। जिसने निर्णय ले रखा है कि अगर कोई शराब पीता हुआ या शराब बेचता हुआ पाया गया तो उसकी शामत नहीं। अगर कोई वहां शराब पीता हुआ या इसको बेचता हुआ पाया गया तो उसकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए उससे जुर्माना वसूले जाने का नियम बना हुआ है। ऐसे व्यक्ति से दस हजार रुपए से एक लाख रुपए तक जुर्माना वसूला जा सकता है।
टांडा गांव में लबाना समाज के ढाई सौ और अन्य जानियों के पचास घर हैं। इन तीन सौ घरों में पूरी तरह शराबबंदी है। पंचों का फैसला यहां के बुजुर्ग बताते हैं कि गांव में शुरू से ही शराबबंदी रही है, लेकिन बीस साल पहले पांच पंचो ने नीतिगत फैसला करके जुर्माना भी तय कर दिया।