अनूप पेशे से एक आउटडोर एडवरटाइज़िंग कंपनी में काम करते हैं। उन्होने बताया कि हम अब एक ऐसी दुनिया में रहते हैं, जहां लोगों का सबसे ज़्यादा समय मोबाइल फ़ोन और गैजेट्स में ही बीतता है। हम एक ऐसी जगह ढूंढ रहे थे, जहां हर पीढ़ी के लोग आते हों और अपना थोड़ा वक़्त भी बिताते हों। अनूप को इस सोच को आकार देने के लिए बस स्टॉप से बेहतर जगह नहीं मिली। उन्होंने वहीं एक बोर्ड लगा दिया कि ‘दुनिया उन्हीं की होती है, जो पढ़ पाते हैं’। बस स्टॉप को अनूप ने थोड़ा अलग बना दिया है, उन्होंने किताबों को रखने के लिए कई शेल्फ़ लगवाए हैं और पढ़ने जैसा माहौल बनाने के लिए इसे रंग-बिरंगी लाइट्स से सजा दिया। नियम कुछ ऐसा है कि आप पढ़ने के लिए यहां से कोई भी किताब उठा कर ले जा सकते हैं, पर उसकी जगह आपको कोई और किताब रखनी होती है। ऐसे ही लाइब्रेरी में किताबें एक्सचेंज होती रहती हैं और लोगों को किताबों में वैरायटी भी मिलती रहती है।
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