अब ऐसे हालातों में पैसा कहीं न कहीं से तो इकट्ठा करना था तो छावले की फैमिली ने एक व्हाट्सेप ग्रुप बनाया और अपने सभी दोस्तों, रिश्तेदारों और जानने वालों से उन्हें सिक्के देने की अपील की. लोगों ने उनकी मदद के लिए घर में पड़ा सारा चेंज, बच्चों के गुल्लक और पिगी बैंक भी दे डाले। रात भर में इस परिवार के पास सिक्कों में पूरे 40 हज़ार रुपये थे।
जब अगले दिन सुबह, ये लोग हॉस्पिटल पहुंचे, तो इनके हाथ में सेलोफिन की पन्नियां थी और उनमें थे पूरे 40 हज़ार रुपये। जब ये पैसे हॉस्पिटल को दिए गए, तो पहले उन्होंने लेने से मना कर दिया। लेकिन हॉस्पिटल को जब पुलिस में कंप्लेंट लिखवाने की धमकी दी गयी, तो आखिरकार उन्हें इनकी बात माननी पड़ी। मज़ा तो तब आया, जब हॉस्पिटल को ये पैसे गिनने में अपने स्टाफ के 6 लोगों को लगाना पड़ा।
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