जब से उसके यहां पर बेटी की किलकारियां गूंजी हैं तब से उसके चेहरे की रंगत भी बदल गई है। उसके चेहरे की खुशी छिपाए नहीं छिपती है। वह कहते हैं कि कि हम सभी अपने घर में देवी की पूजा करते हैं लेकिन बेटी को जन्म से पूर्व मार देते हैं। पवार महज दस हजार प्रति माह कमा पाता है। उसका कहना है कि लोग मानते हैं कि बेटी होगी तो उनके ऊपर भार अधिक बढ़ जाएगा। इस सोच को बदलना होगा। लेकिन जब तक हम खुद नहीं बदलेंगे तब तक हम समाज और देश को भी नहीं बदल सकेंगे। इसके लिए पहले खुद को बदलना होगा।