इनमें से कई अपने रोगों के इलाज के लिए डॉक्टरों के पास जाने की बजाय मंदिर में ही दिन-रात पड़े रहते हैं। मंदिर में लोगों से पूछिए तो ऐसी अनगिनत कहानियां, दृष्टांत मिल जाएंगे जब किसी कैंसर रोगी, असाध्य रोगी या मेडिकल साइंस से नकार दिया गया रोगी बाबा के दरबार में धरना देकर भला चंगा हो गया। दरअसल, लोगों की ऐसी मान्यता है कि बाबा बैद्यनाथ के दरबार में दीवानी मुकदमों की सुनवाई होती है और बासुकीनाथ में फौजदारी मुकदमे की सुनवाई होती है। ईश्वर से सुनवाई की आस में ही कोई यहां छह महीने से हैं तो कोई छह साल से धरने पर बैठा है। सिविल इंजीनियर दीनबंधु झा की बात करें तो वह तेज पेट दर्द से सालों से परेशान थे।
बकौल झा, दिल्ली के एम्स से रांची के रिम्स तक तमाम जांच के बावजूद उनका रोग कोई नहीं पकड़ पाया। जब वे रांची से इलाज करा कर वापस एम्स में इलाज के लिए दिल्ली जा रहे थे, तभी उन्हें रेल में अचानक तेज दर्द उठा। सामने एक साधु बैठा था। उसने कहा कि तुम बासुकीनाथ में इलाज क्यों नहीं कराते हो।