एक पुलिसवाली ने इंसानियत की मिसाल पेश की है। आरपीएफ की रेखा मिश्रा मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर तैनात है। रेखा पिछले साल से अब तक 400 से अधिक बच्चों को बचा चुकी हैं। मिश्रा ने पिछले साल ही बतौर सब-इन्सपेक्टर आपपीएफ जॉइन किया था। 32 साल की रेखा मिश्रा मूल रूप से इलाहबाद की रहने वाली हैं।
रेखा मिश्रा कहती हैं कि उन्हें हमेशा से बड़ों का सम्मान करने और बच्चों की देखभाल करने की सीख दी गई। वह कहती हैं कि वह एक आर्मी फैमिली से आती हैं और इस वजह से भी उन्हें अपने काम में मदद मिलती है। रेखा के पिता सुरेंद्र नारायण सेना से रिटायर हुए हैं जबकि उनके तीन भाई सेना में हैं।
रेखा मिश्रा सुबह-सुबह अपना काम शुरू करते हुए 12 घंटे की शिफ्ट पूरा करती हैं। वह बताती हैं कि वह जब भी टर्मिनस पर अपने सहकर्मी शिवराम सिंह के साथ ड्यूटी पर होती हैं तो हमेशा उन लोगों की ढूढ़ती हैं जो भीड़ में अकेले महसूस कर रहे होते हैं। इनमें छोटे बच्चें- लड़के-लड़कियां, युवतियां होती हैं जिन्हें किसी के मदद की जरूरत होती है।
रेखा मिश्रा का कहना हैं कि सूचनाओं के आधार पर कार्रवाई करना या देशभर के दूसरे आरपीएफ कर्मचारियों को फोन पर मिली सूचना के आधार पर कार्रवाई करना भी काफी महत्वपूर्ण है। वह कहती हैं, ‘संवेदनशीलता इसमें मदद करती है।
उन्होंने आगे कहा, बच्चों को आप पर भरोसा होना चाहिए। उनमें से कुछ घर छोड़कर भागे हुए होते हैं तो कई ऐसे भी होते हैं जिनका यौनशोषण किया गया होता है। उनमें से कुछ ऐसे भी मिलेंगे जो घर वापस जाना नहीं चाहते। इसलिए बहुत ही सावधानी से काम करना पड़ता है।’
रेखा ने बताया कि पिछले साल उन्होंने 400 से ज्यादा बच्चों को बचाया। वह खास तौर पर चेन्नै की 3 लड़कियों को याद करती हैं जिन्हें उन्होंने उनके मां-बाप से मिलाया था। वह कहती हैं, ‘तीनों लड़कियों की उम्र 14 साल के करीब थी। पहली लड़की ने मुझे बताया कि वह अपहर्ता के चंगुल से भागकर आई है। चूंकि भाषा एक बाधा थी तो हमें अनुवादक की मदद लेनी पड़ी थी। लेकिन आखिरकार उन्होंने सच्चाई बताया कि दरअसल फिल्मों में काम करने के लिए वे घर से भागी हुई थीं।’