ऐसा कहने वाला ये कोई एक शख्स नहीं बल्कि हमारी टीम ने अलग-अलग स्टेशनों पर मौजूद कई ऐसे माफियाओं से बातचीत की और सभी ने हमें 150-200 रुपये रोजाना देकर सामान रेल और स्टेशनों पर अवैध सामान बेचने की हरी झंडी दे दी। इन माफियाओं के अलावा उत्तर रेलवे के लाइसेंसधारी वैंडर्स भी इस गड़बड़ी में बराबर के हिस्सेदार बन हुए हैं।

ये लोग रेलवे स्टशनों पर ‘रेल नीर’ के अलावा प्राइवेट कंपनियों का पानी बेचते हैं वो भी MRP से ज्यादा कीमतों पर। ग्राहकों जब इस बात का विरोध करते हैं तो उन्हें दुतकार दिया जाता है।बजट आने से कुछ दिन पहले ही कोबरापोस्ट-इंडिया न्यूज़ की टीम ने एक ऐसा खुलासा किया है जो इतने बड़े रेल नेटवर्क पर सवाल खड़े करता है कि आखिर ये सब क्या चल रहा है, किसकी शह पर चल रहा है और आखिर इसका जिम्मेदार कौन है।

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