उनका ऐसा कहना है कि ये सफ़र काफी लम्बा और मुश्किल रहा। अब इस डिजिटल दौर में, इस पेशे से गुज़ारा कर पाना बहुत मुश्किल है। इसलिए हम इसमें ज़रूरी बदलाव लाते रहते हैं और इन्वेस्ट करते हैं। पवन बताते हैं कि 70 और 80 के दशक में यहां शादी की फ़ोटोज़ खिंचवाने वालों की लाइन लगती थी और आज हफ्ते में मुश्किल से दो से तीन ग्राहक आते हैं। फिर भी वेडिंग फोटोग्राफी सबसे फायदेमंद है। पवन ने एक बार अमिताभ बच्चन को फ़िल्म डेवेलॉप करना सिखाया था, उस वक़्त अमिताभ कुली फ़िल्म में लगी चोट से ऊबर रहे थे।
स्टूडियो में मौजूद पुराने कैमरे और यंत्रों से पवन अपने परिवार के लोगों को इस क्षेत्र में खोज करने की सलाह देते हैं। सौ साल पूरे होने का जश्न उन्होंने मदन महत्ता के फ़ोटोज़ के साथ मनाया। उनके स्टूडियो में आज भी कनॅाट पैलेस और पालिका की आज़ादी के बाद की कई शानदार तस्वीरें हैं।
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