राजरानी की इस मुहिम की डगर आसान नहीं थी। इस काम में उनको कई मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा। उनके इस अभियान में इंटरमीडिएट की छात्रा दुर्गेश, पायल, कांति सहित गांव कि कई महिलाओं ने बढ़-चढ़कर उनका साथ दिया। ये सभी महिलायें राजरानी के साथ मिलकर सुबह होते ही टॉर्च और डंडे लेकर निकल जाती थीं। और जो भी उनको खुले शौच जाता दिखता था उसको इसके दुष्परिणामों के बारे में बताती थीं। इतना ही नहीं घर-घर जाकर महिलाओं को घर में शौचालय बनवाने और खुले में शौच जाने के नुक्सान के बारे में बताती थीं। गांव के कुछ लोगों ने इनका विरोध भी किया, लेकिन राजरानी नहीं रुकीं। कुछ टाइम बाद विरोध करने वाले भी इनकी इस मुहिम में शामिल हो गए।
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