केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल मनिन्दर सिंह ने न्यायालय को इस संबंध में गृह मंत्रालय और केन्द्रीय जांच ब्यूरो द्वारा किये गये उपायों की जानकारी दी। केन्द्रीय जांच ब्यूरो ही साइबर अपराध के लिये नोडल एजेंसी है। उन्होंने कहा कि यौन अपराधियों के नाम सार्वजनिक करने के सवाल पर भारत और विदेशों में बहस जारी है और इस संबंध में लिये जाने वाले निर्णय पर अमल किया जायेगा।
इस पर पीठ ने कहा कि यदि यौन अपराधियों के नाम सार्वजनिक किये जाने हैं तो ऐसा मामला दर्ज करने के बाद नहीं बल्कि सिर्फ इस अपराध के लिये दोषी ठहराये जाने के बाद ही होना चाहिए क्योंकि अगर यह व्यक्ति बाद में बरी हो जाता है तो भी नाम सार्वजनिक हो जाने पर उसकी छवि खराब हो जायेगी।