न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि यदि राज्य पुलिस को यौन अपराध के मामले में जांच के बाद आरोपी के खिलाफ कुछ नहीं मिला तो सीबीआई संबंधित अपराध से जुड़े साइबर अपराध के पहलू के बारे में उससे पूछताछ नहीं करेगी। यही नहीं, न्यायालय ने महिलाओं के प्रति अपराध पर अंकुश के लिये किये जा रहे उपायों की सूची में ही बच्चों के साथ होने वाली यौन हिंसा पर नियंत्रण के उपायों को भी शामिल करने का केन्द्र को निर्देश दिया।

न्यायालय ने कहा, ‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार बच्चों के प्रति यौन हिंसा के मामलों में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है।’ न्यायालय हैदराबाद स्थित गैर सरकारी संगठन प्रज्वला द्वारा तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू को भेजे गये पत्र पर सुनवाई कर रहा था। इस पत्र के साथ एक पेन ड्राइव में बलात्कार के दो वीडियो भी भेजे गये थे। न्यायालय ने इस पत्र का स्वत: संज्ञान लेते हुये केन्द्रीय जांच ब्यूरो को इन अपराधियों को पकड़ने के लिये इन घटनाओं की जांच करने का आदेश दिया था।

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