डेनमार्क की कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता विल्हेम बोर ने कहा कि हम चूहे और कृमि पर एनएडी प्लस के प्रभाव को देखकर हैरान रह गए। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि मनुष्यों पर भी यह कोएंजाइम समान रूप से प्रभावी होगा। उन्होंने कहा, सभी सजीवों में कोशिकाओं की मरम्मत की प्रक्रिया समान होती है। इसलिए इसका मनुष्यों पर भी वैसा ही असर होना चाहिए जैसा चूहों में दिखा है। पहले हुए अध्ययनों ने दिखाया है कि उम्र बढ़ने में एक मुख्य प्रक्रिया कोशिकाओं के हमारे जीन को रखने की क्षमता होती है।
यह क्षमता कमोबेश स्थिर रहती है। कोशिका का ऊर्जागृह, माइटोकॉण्ड्रिया भी बुढ़ापे की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। इस तरह बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा करने के लिए डीएनए की मरम्मत करना और माइटोकॉण्ड्रिया के कार्य को नियमित करना जरूरी है।