शादीशुदा ज़िंदगी में पैसे की नहीं बल्कि उसकी ज़रूरत होती है..जो.. , जिस किसी ने भी कहा है कि पैसे से खुशी खरीदी जा सकती है, वह हमेशा गलत साबित हुआ है। प्यार खोजने, प्यार पाने का असर खुशी पर बहुत ज्यादा होता है, बजाय तनख्वाह बढऩे के। अब एक नए शोध ने साबित किया है,तनख्वाह बढऩे से जितनी खुशी मिलती है, उससे कहीं ज्यादा खुशी प्यार पाने से मिलती है। यह खुशी इतनी होती है कि इसका असर भी काफी लंबे समय तक बना रहता है।
शोधकर्ता रिचर्ड लायार्ड के मुताबिक, इस शोध से एक बात तो साबित हो जाती है कि पैसा इकट्ठा करने में ध्यान लगाने की बजाय दिमागी स्वास्थ्य पर ध्यान देने की ज्यादा जरूरत है। इसके लिए व्यक्ति के साथ-साथ समाज और सरकारों को भी प्रयास करने होंगे। पहले सरकारें गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा और शारीरिक स्वास्थ्य पर काफी ध्यान देती थीं लेकिन अब घरेलू हिंसा, शराबखोरी, अवसाद, एंजायटी, भटके हुए युवा, परीक्षा संबंधी तनाव जैसी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत ज्यादा है क्योंकि इन सब चीजों का असर व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा होता है, जिस पर उसकी और उसके परिवार की खुशी टिकी हुई है।