इसके अलावा पूर्णिमा, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि में भी यौन सम्बन्ध बनाने की मनाही है। ऐसा करने पर व्यक्ति को नर्क का वास करना पड़ता है। साथ ही ग्रहण जैसी अशुभ तिथि में भी मिलन को टालना चाहिए। इसके साथ-साथ जन्माष्टमी, रामनवमी, होली, शिवरात्रि, नवरात्रि इन शुभ रात्रियों में दैवी शक्तियां जागृत रहती हैं इसलिए इनमें भी स्त्री-पुरुष मिलन से बचना चाहिए।
इस अनुशासन पर्व के अनुसार महिला और पुरुष को यौन सम्बन्ध बनाने से बचना चाहिए। क्योंकि इस तिथि में मिलन से व्यक्ति को नीच योनि जैसे कीट, पशु, कीड़े के रूप में जन्म मिलता है साथ ही नर्क भी भोगना पड़ता है।