खिलजी से यह अपमान सहा नहीं गया और उसने मेवाड़ के साथ खुलेआम युद्ध का शंखनाद फूंक दिया। दोनों सेनाएं मैदान में एक-दूसरे से भिड़ पड़ीं। इस युद्ध में मेवाड़ी सेना के सारे सिपाही मारे गए साथ ही राजा रतन सिंह की भी मृत्यु हो गई। इसके बाद खिलजी ने दुर्ग के भीतर की राजपूत महिलाओ को बंदी बनाने का आदेश दे डाला। राजपूत सेना के हारने की खबर पाकर रानी पद्मावती ने चित्तोड़ दुर्ग के अन्दर एक बड़ी चिता जलाने को कहा और जैसे ही खिलजी की सेना महिलाओं को बंदी बनाने के लिए दुर्ग के भीतर प्रवेश करने लगी। अपनी आबरू की खातिर पद्मावती और सभी राजपूत महिलाएं उस जलती अग्निकुंड में कूद पड़ी और देखते ही देखते सभी ने जोहर कर दिया मेवाड़ के इस जोहर को आज भी लोकगीतों में याद किया जाता हैं।