राजा रतनसिंह को बंदी बनाने की खबर ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दी। चित्तौड़ की सेना अपने राजा को मुक्त कराने के लिए योजना बनाने लगी। अगले दिन सुबह होते ही 150 सैनिक पालकी के साथ रतनसिंह की सेना के सेनापति गोरा और बादल खिलजी के किले की तरफ बढ़ चले। इन पालकियों को देखकर खिलजी उत्साहित हुआ और सोचा इसी में ही पद्मावती को लेकर आये हैं मगर इस मे गोरा बादल की चाल थी इन पालकियो में राजा रतन सिंह को बचाने पहुचे गोरा और बादल और मेवाड़ की सशस्त्र सेना बाहर निकली और खिलजी के चगुल से रतनसिंह को आजाद करवा लिया इस मुठभेड़ में गोरा मेवाड़ी महानायक शहीद हो गया और बादल खिलजी के अस्तबल से घोड़े निकालकर चितोड़ की तरफ चल पड़े।