आपको बता दें कि मंजीत अब क कई देशों में अपने इस हुनर के साथ जा चुके हैं। सिर्फ देश में ही नहीं विदेश में भी ये अपनी इस खूबी का डंका बजा चुके हैं। वह जर्मनी, हॉलैंड, पोलैंड, बेल्जियम, फ्रांस, इटली, आस्ट्रिया, स्पेन, सिंगापुर, मलेशिया, कनाडा तक जाकर लोगों को अपना हुनर दिखा चुके हैं। दूर-दूर तक घूमने के बाद अभी भी इनका मन नहीं भरा था। कारण था कि अब वह अपने गुरु महाराज की जन्मभूमि नहीं आ पाए थे। वहीं अब 350वें प्रकाशोत्सव के मौके पर उनको यहां भी आने का मौका मिल गया। अब वह खुद को पूरी तरह से धन्य मान रहे हैं।
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