रामायण नामदेव की गरीबी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब नदी से नेहा और काजल की लाशें निकलवाईं गईं तो गोताखोरों और स्वीपरों ने डेढ़-डेढ़ हजार रुपए मांगे। लेकिन रामायण के पास एक भी पैसा नहीं था, उसने अपने रिश्तेदारों से उधारी मांगी, लेकिन सिर्फ एक हजार रुपए ही एकत्रित हो पाए।

रामायण के अनुसार उसकी आर्थिक स्थिति काफी खराब है, लेकिन नेहा के इंजीनियर बनने के सपने को वो हर हाल में पूरा करना चाहता था। जिसके लिए वह दिन रात कड़ी मेहनत करता था। लेकिन नेहा की मौत के बाद वह बुरी तरह टूट चुका है। नईदुनिया से चर्चा के दौरान रामायण ने माढ़ोताल थाने में अपने साथ हुए व्यवहार के बारे में काफी देर तक चर्चा की। रामायण का कहना था कि 3 फरवरी से आज तक कई ऐसे माता-पिता से उसकी मुलाकात हुई जिनकी बेटियां और बच्चे लापता हुए थे। पुलिस मदद करने की बजाय हर किसी का उसी तरह मजाक उड़ाती थी जैसे उसके साथ।

 

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