पूर्णिमा और अमावस्या पर रहें सावधान! आप बन सकते हैं शिकार। ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि आम दिनों के अलावा पूर्णिमा और अमावस्या के दिन ही ज्यादातर घटनाएं सामने आती है, पूर्णिमा के दिन मोहक दिखने वाला और अमावस्या पर रात में छुप जाने वाला चांद अनिष्टकारी होता है। हादसों और प्राकृतिक प्रकोप का भी अक्सर यही समय होता है। चांद के कारण समुद्र में उठने वाली लहरें इसी बात को पुष्ट करती हैं। और हादसों के आंकड़े भी इस बात को काफी हद तक प्रमाणित करते हैं।
और मानव शरीर में 80 प्रतिशत जल होने से मन व मस्तिष्क पर चंद्रमा का असर ज्यादा होता है। यह प्रभाव खासतौर पर पूर्णिमा व अमावस्या के दिन अधिक दिखाई देता है। जबकि चंद्र सबसे कमजोर ग्रह माना जाता है। इसकी गति धीमी होती है और यह ढाई दिन में राशि परिवर्तन करता है। चंद्रमा मनुष्य को तनाव देने के साथ ही अप्रिय घटनाओं को भी अंजाम देता है।
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