जिद्दी प्रेतात्मा को शरीर से मुक्त करने के लिए कठोर से कठोर दंड दिया जाता है । इस उपचार को देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं । मंदिर में प्रसाद खाने के पश्चात रोगी व्यक्ति झूमने लगता है और भूत-प्रेत स्वयं ही उसके शरीर में चिल्लाने लगता है । बालाजी की शरण में आ जाने से सदा के लिए इस प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है । मंदिर में प्रात: और सांय लगभग चार घंटे पूजा होती है । यहां से भूलकर भी प्रसाद घर लेकर न आए । वापसी के समय भक्त दरबार से जल-भभूति ला सकते हैं । यहां हनुमान जी के सीने में एक छोटा सा छेद है जिसमें से निरंतर पानी की एक धारा बहती रहती है । यह जल बालाजी के चरणों तले स्थित एक कुण्ड में एकत्रित होता रहता है, जिसे भक्तजन चरणामृत के रूप में अपने साथ ले जाते हैं ।
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