रावण के कुल-गोत्र के है कुबेर, पूर्वजन्म में थे चोर। आपको पता है कुबेर को पूर्वजन्म में चोर कहा जाता था । कुबेर के बारे में लोकमानस में एक जनश्रुति प्रचलित है ।चोर भी ऐसे कि देव मंदिरों में चोरी करने से भी बाज न आते थे । एक बार चोरी करने के लिए एक शिव मंदिर में घुसे। तब मंदिरों में बहुत माल-खजाना रहता था । उसे ढूंढने-पाने के लिए कुबेर ने दीपक जलाया लेकिन हवा के झोंके से दीपक बुझ गया।
कुबेर ने फिर दीपक जलाया, फिर वह बुझ गया । जब यह क्रम कई बार चला, तो भोले-भाले और औघड़दानी शंकर ने इसे अपनी दीपाराधना समझ लिया और प्रसन्न होकर अगले जन्म में कुबेर को धनपति होने का आशीष दे डाला । कुबेर के संबंध में प्रचलित है कि उनके तीन पैर और आठ दांत हैं । अपनी कुरूपता के लिए वे अति प्रसिद्ध हैं । उनकी जो मूर्तियां पाई जाती हैं, वे भी अधिकतर स्थूल और बेडौल हैं ‘शतपथ ब्राह्मण’ में तो इन्हें राक्षस ही कहा गया है।
आगे पढिए