जब सुषुम्ना मध्य में स्थित है, अतः जब हमारी नाक के दोनों स्वर चलते हैं तो माना जाता है कि सुषम्ना नाड़ी सक्रिय है। इस सक्रियता से ही सिक्स्थ सेंस जाग्रत होता है। इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना के अलावा पूरे शरीर में हजारों नाड़ियां होती हैं। उक्त सभी नाड़ियों का शुद्धि और सशक्तिकरण सिर्फ प्राणायाम और आसनों से ही होता है।

शुद्धि और सशक्तिकरण के बाद ही उक्त नाड़ियों की शक्ति को जाग्रत किया जा सकता है। इसे कुंडलिनी के जरिए जाग्रत भी किया जा सकता है एवं किसी विशेष व्यक्ति में यह स्वतः विकसित हो जाती है।

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