आधुनिकता के इस दौर में समाज की नई पीढ़ी ने खुद को इस परंपरा से कुछ दूर करना शुरू कर दिया है। उनमें समय के साथ टैटू को बनवाने का चलन कुछ कम हुआ है। युवाओं का कहना है कि उनको पढ़ाई और काम के सिलसिले में दूसरे शहरों में जाना पड़ता है। इसलिए वे पूरे श्ारीर पर टैटू बनवाने से बचते हैं। पर इसका मतलब ये नहीं है कि उन्हें इस पर विश्वास नहीं है और वे पूरे शरीर में न सही, वह किसी भी हिस्से में राम-राम लिखवाकर अपनी संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं।