इस परंपरा का पालन करने वाले रामनामी समाज के बुजुर्गों का कहना है कि समाज में किसी जाति विशेष के लोग शामिल नहीं हैं, क्योंकि वे भगवान को किसी खास जाति का ना मान कर सभी के होने की बात स्वीकार करते हैं। रामनामी समाज के लोगों की आबादी तकरीबन एक लाख है और छत्तीसगढ़ के चार जिलों में इनकी संख्या सबसे ज्यादा बताई जाती है। सभी में टैटू बनवाना एक आम बात है।